प्रकट का क्रिया रूप प्रकटना भी होता है जो संस्कृत के प्रकटन का ही देसी रूप है।
2.
मेरे लिए ईश्वर तब प्रकटे जब वे निहित थे अन्यथा प्रकटते ही नहीं! आशय ये कि सब कुछ निहित है... ढकना भी और प्रकटना भी...
3.
तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा के राजीव गांधी की समाधि के पास लड़खड़ाने की खबर के बराबर अमिताभ बच्चन का सफेद दाढ़ी में प्रकटना भी उस दिन की एक बड़ी खबर थी।
4.
हजारों साल के साहचर्य के बाद भी वह मानव को यह नहीं सिखा सकी कि आत् मसम् मान एक ऐसा भाव है, जो कहीं और जाकर नहीं, यहीं व् यक् त होना चाहिए और अपने ही मन और देह में प्रकटना चाहिए, मुजरे के दर्शकों की आंखों से नहीं।
5.
भले ही प्रकटना अनस्तित्व की प्रतीति / बोध से समझाया जाये! सृष्टि / प्रकृति में जो निहित है वही अभिव्यक्त हो पायेगा और जो है ही नहीं वो भला कैसे अभिव्यक्त होगा! अतः ' कट ' और ' प्र ' दोनों ही ' निहित ' से अभिन्न नहीं हैं! कुछ यूं कहें कि प्रकट हो जाना एक भ्रम का टूट जाना अथवा प्रतीति से बाहर आना मात्र है वर्ना वो तो पहले से ही मौजूद है...