पाया गया. इसके सूत्र आधुनिक “जीवित जीवाश्म” की शरीर-क्रिया विज्ञान के साथ जुड़ते हैं, जैसे मत्स्य वर्ग और सरीसृप वर्ग तथा अन्य पृष्ठवंशी, जिनके कोई पार्श्विका अंग या “तीसरी आंख” होती है, जोकि कुछ में प्रकाशसुग्राही होती हैं.
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पाया गया. इसके सूत्र आधुनिक “जीवित जीवाश्म” की शरीर-क्रिया विज्ञान के साथ जुड़ते हैं, जैसे मत्स्य वर्ग और सरीसृप वर्ग तथा अन्य पृष्ठवंशी, जिनके कोई पार्श्विका अंग या “तीसरी आंख” होती है, जोकि कुछ में प्रकाशसुग्राही होती हैं.
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पाया गया. इसके सूत्र आधुनिक “जीवित जीवाश्म ” की शरीर-क्रिया विज्ञान के साथ जुड़ते हैं, जैसे मत्स्य वर्ग और सरीसृप वर्ग तथा अन्य पृष्ठवंशी, जिनके कोई पार्श्विका अंग या “तीसरी आंख” होती है, जोकि कुछ में प्रकाशसुग्राही होती हैं.