परवर्ती काल में इसमें बहुत से प्रक्षेपांश जोड़े गए हैं.
2.
ये प्रक्षेपांश अधिकृत विद्वानों द्वारा नहीं अपितु किसी भी लेखक द्वारा जोड़ दिये गये हैं।
3.
2-आयुर्वेद के ग्रंथों में समय-समय पर कई बार अंश जोड़े गये हैं जिन्हें प्रक्षेपांश कहा जाता है।
4.
पहली तो यह कि हिन्दुयेतर शासकों द्वारा हिन्दू धर्म को विवाविद करने, जनमानस को दिग्भ्रमित करने के अभियान में जो पौराणिक आख्यानों में बाद में प्रक्षेपांश जुडवाए गए उसने इसे पर्याप्त विवादित किया....
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पहली तो यह कि हिन्दुयेतर शासकों द्वारा हिन्दू धर्म को विवाविद करने, जनमानस को दिग्भ्रमित करने के अभियान में जो पौराणिक आख्यानों में बाद में प्रक्षेपांश जुडवाए गए उसने इसे पर्याप्त विवादित किया....