प्रखरबुद्धि बोले, ‘ पहली, रात को मजबूत किले में रहना।
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' प्रखरबुद्धि की बात सुनकर राजा बोला, ‘ कहिए गुरु जी।
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इस संस्कार का प्रमुख उद्देश्य बालक को स्वस्थ और प्रखरबुद्धि वाला बनाना था।
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इस पर प्रखरबुद्धि मुस्करा कर बोले, ‘ तुम मेरी बातों का अर्थ नहीं समझे।
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इसके बाद वह बालक के कान में आशीर्वाद के मंत्र पढ़ता था, जिससे कि बालक दीर्घायु हो और प्रखरबुद्धि वाला हो।
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प्रखरबुद्धि, मुखरवाणी, हर जन जिसका श्रोता है बताया, कि “मौन रहने से नहीं”, बोलने से बहुत कुछ होता है गठबंधन को बंधन
9.
मेरे कुल के गौरव, तुमको देता आशीर्वाद यही प्रखरबुद्धि और दृढनिश्चय से पार करो, जीवन सागर! आशीर्वाद पिता का, मां का प्यार, साथ में लेकर तुम करो प्रकाशित सारा जग तो जीवन सफल हमारा हो