| 1. | जब एक और उपांग बनता है तब प्रजीव जीवक (ज़ोइआ) हो जाता है।
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| 2. | उत्तर त््रयूपांग, जब दो और उपांग बनते हैं, प्रजीव (प्रोटोज़ोइआ) बन जाता है।
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| 3. | ये प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) के निकट हैं परतु ऐसा विभाजन कृत्रिम तथा अनुचित प्रतीत होता है।
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| 4. | शैवाल और एककोशिकी प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) दोनों एक साथ एक-कोशजीव (प्रोटिस्टा) वर्ग में रखे जाते हैं।
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| 5. | केवल प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) तथा छिद्रिष्ठ (स्पंज) ही ऐसे प्राणी हैं जो आंतरगुही से भी अधिक सरल आकार के होते हैं।
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| 6. | अत्यंत सरल प्रकार का एक प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) है जिसकी अधिकांश जातियाँ नदियों, तालाबों, मीठे पानी की झीलों, पोखरों, पानी के गड्ढों आदि में पाई जाती हैं।
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| 7. | अत्यंत सरल प्रकार का एक प्रजीव (प्रोटोज़ोआ) है जिसकी अधिकांश जातियाँ नदियों, तालाबों, मीठे पानी की झीलों, पोखरों, पानी के गड्ढों आदि में पाई जाती हैं।
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