रामचन्द्र शुक्ल के अतः प्रज्ञात्मक चित्रो की प्रदर्शनी के उद् घाटन के बाद कही।
3.
उन्होंने अपनी कृति अतः प्रज्ञात्मक शैली के बारे में कहा कि इस शैली का विदेशों से कोई लेना देना नहीं है।
4.
उन्होंने कहा कि कला लोककलाओं की चीज है इसलिए हमने सबसे पहले लोककलाओं का अध्ययन किया और उसके मूल तत्व को लेकर अपने अतः प्रज्ञात्मक चित्रों में समाहित किया।