दुष्यंत-शकुन्तला की प्रणय-प्रसंग और भरत की क्रीडा...
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दुष्यंत-शकुन्तला की प्रणय-प्रसंग और भरत की क्रीडा स्थली है ये!
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विद्यापति और जयदेव का आधार लेते हुए भी इन कवियों के प्रणय-प्रसंग में स्थूलता का सर्वथा अभाव है ।
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उनकी कहानी आगे बढ़ी और थोड़ी देर में बहकने लगी यानी स्त्री-अंग एवं प्रणय-प्रसंग के विवरण प्रविष्ट होने लगे।
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वे यह जानना चाहते थे कि प्रणय-प्रसंग में लगे होने के दौरान शरीर से निकलने वाले रसायन फ़ेरोमोन्स के प्रति चूहों की क्या प्रतिक्रिया होती है.
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वे यह जानना चाहते थे कि प्रणय-प्रसंग में लगे होने के दौरान शरीर से निकलने वाले रसायन फ़ेरोमोन्स के प्रति चूहों की क्या प्रतिक्रिया होती है.
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यह भी हो सकता है कि नए प्रणय-प्रसंग में कुछ दोहे, कुछ शेर और अब तो फिल्मी गीत भी कुछ उद्दीपन कर देते हों ; पर वहाँ भी साहित्य भला बुरा एक बहाना भर होता है।
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अपने एक प्रणय-प्रसंग के दौरा न, कुमारदास द्वारा कविता की एक पंक्ति कामिनी को देक र, यह वचन दिया जाता है कि यदि वह उसे पूरा कर देती ह ै, तो राजा उससे विवाह कर लेंगे ।
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इनके अन्य दो नाटकों में जैसा कि उनके नाम से ही लक्षित होता है, प्रथम में विक्रम अर्थात् प्रतिष्ठान के राजा पुरुरवा और उर्वशी अप्सरा का प्रेम प्रसंग है, तो दूसरे में विदिशा के राजा अग्निमित्र और विदर्भकुमारी मालविका का प्रणय-प्रसंग है।