पेंच प्रणेदित्र के सिद्धांत और क्रिया (Principles and action of screw propeller)-आधुनिक जहाजों को चलाने के लिए उनके पिछले सिरे पर जो पंखेनुमा यंत्र लगाया जाता है उसे प्रणोदित्र अथवा प्रणोदी पेंच कहते हैं।
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१८६० ई. से श्लेषीकृत (gelatinised) नाइट्रोसेलूलोज प्रणोदी (propellant) बनने लगे। ई.ए. ब्राउन (E.A. Brown) ने इस बात का पता लगाया कि शुष्क (या कुछ गीली भी) नाइट्रोसेलूलोज़ को किसी विस्फोटप्रेरक (detonator) के द्वारा विस्फोटित किया जा सकता है।
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अत: प्रणोदी धुरे की पिछली खोल, जिसमें से वह धुरा पीछे की तरफ बाहर निकला रहता है, और इंजन अथवा टरबाइन के बीच एक बॉक्सनुमा नोदक बेयरिंग लगा दिया जाता है, जिसके भीतर की तरफ खाँचों में धुरे पर बनी कई कालरें (collar) सही सही बैठी रहती हैं और वे सब मिलाकर प्रणोदी पंखे से आनेवाले नोद को सह लेती हैं।
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अत: प्रणोदी धुरे की पिछली खोल, जिसमें से वह धुरा पीछे की तरफ बाहर निकला रहता है, और इंजन अथवा टरबाइन के बीच एक बॉक्सनुमा नोदक बेयरिंग लगा दिया जाता है, जिसके भीतर की तरफ खाँचों में धुरे पर बनी कई कालरें (collar) सही सही बैठी रहती हैं और वे सब मिलाकर प्रणोदी पंखे से आनेवाले नोद को सह लेती हैं।
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छांग अ-3 ` के लिए वाहक राकेट-प्रणाली के जनरल डिजाइनर च्यांग चे ने संवाददाताओं से कहा कि चीन कोशिश करेगा कि वाहक राकेटों में काम आने वाले प्रणोदक तत्व को गैरप्रदूषित और गैरजहरीला बनाया जाए, यानी पर्यावरण को संरक्षित करने वाली हरित प्रणोदी बनाई जाए, वाहक राकेट की शक्ति को और भी बढाया जाए तथा वाहक राकेट बनाने की लागत कम की जाए।