प्रतियुक्ति पर विभागेतर सेवा शर्तों पर उप सलाहकार (इंजीनियरिंग)
2.
जब वादी की युक्ति का खंडन किसी समर्थ प्रतियुक्ति से करना प्रतिवादी के लिए संभव नहीं होता, तब प्रतिवादी साधर्म्याश्रित या वैधर्म्याश्रित आक्षेप का प्रयोग करता है।
3.
जब वादी की युक्ति का खंडन किसी समर्थ प्रतियुक्ति से करना प्रतिवादी के लिए संभव नहीं होता, तब प्रतिवादी साधर्म्याश्रित या वैधर्म्याश्रित आक्षेप का प्रयोग करता है।