कम प्रतिशीर्ष आय तथा ऊँची ऊँची बेरोज़गारी को पूँजी बनाकर केरल कैसे यह स्थिति प्राप्त कर सका यह अनुत्तरित प्रश्न सा रहता है ।
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कम प्रतिशीर्ष आय तथा ऊँची ऊँची बेरोज़गारी को पूँजी बनाकर केरल कैसे यह स्थिति प्राप्त कर सका यह अनुत्तरित प्रश्न सा रहता है ।
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कम प्रतिशीर्ष आय तथा ऊँची ऊँची बेरोज़गारी को पूँजी बनाकर केरल कैसे यह स्थिति प्राप्त कर सका यह अनुत्तरित प्रश्न सा रहता है ।
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परन्तु उत्पादन क्षेत्र में मंदी, ऊँची बेरोज़गारी दर, बढ़ता बाज़ार-भाव, निम्न प्रतिशीर्ष आमदनी, उपभोक्ता वाद का प्रभाव आदि के कारण केरल की अर्थ-व्यवस्था जटिल होती जा रही है ।
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परन्तु उत्पादन क्षेत्र में मंदी, ऊँची बेरोज़गारी दर, बढ़ता बाज़ार-भाव, निम्न प्रतिशीर्ष आमदनी, उपभोक्ता वाद का प्रभाव आदि के कारण केरल की अर्थ-व्यवस्था जटिल होती जा रही है ।
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परन्तु उत्पादन क्षेत्र में मंदी, ऊँची बेरोज़गारी दर, बढ़ता बाज़ार-भाव, निम्न प्रतिशीर्ष आमदनी, उपभोक्ता वाद का प्रभाव आदि के कारण केरल की अर्थ-व्यवस्था जटिल होती जा रही है ।