| 1. | रोगी को प्रतिश्याय (जुकाम) होता है।
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| 2. | प्रतिश्याय (जुकाम) में भी इससे बहुत लाभ होता है।
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| 3. | यह बालकों के प्रतिश्याय तथा रोगों में प्रयुक्त होती हैं ।
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| 4. | आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोने से प्रतिश्याय जुकाम हो जाता है।
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| 5. | विकृत होने पर श्वास कास, प्रतिश्याय, स्वर्ग आदि होते हैं ।।
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| 6. | इसलिये प्रतिश्याय तथा खांसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहियेबल्कि उचित प्रभावी उपचार करना चाहिए.
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| 7. | चिर प्रतिश्याय (च्ह्रोनिच् चटर्र्ह्) के साथ रक्त-~ स्राव, रुक्षता; ठण्डे नम मौसम में वृद्धि.
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| 8. | नस्य योग्य रोग-प्रतिश्याय, मुख की विरसता, स्वर भेद, सिर का भारीपन, दंत शूल, कर्ण शूल, कर्ण नाद आदि।
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| 9. | नस्य योग्य रोग-प्रतिश्याय, मुख की विरसता, स्वर भेद, सिर का भारीपन, दंत शूल, कर्ण शूल, कर्ण नाद आदि।
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| 10. | पुरीष का वेग रोकने से-ऐंठन, प्रतिश्याय, सिरःशूल, उद्गार हृदयगति में अवरोध आदि विकार होते हैं ।।
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