वे संघ की परंपरा से हैं, इसलिए प्रदेशवादी नहीं, देश की बात करेंगे.
2.
“ मुझे किसी भी स्वार्थी, भ्रष्ट, दलबदलू, जातिवादी, प्रदेशवादी, अल्पसंखयक प्रचारक और तुष्टिकरण वादी राज नेता को निर्वाचन में अपना वोट नहीं देना है और केवल हिन्दू वादी नेता को अपना प्रतिनिधि चुनना है ” ।
3.
साहित्य अध्ययन के इस उग्रभक्तिवादी दृष्टिकोण जो कि भारत में एक रूढ़ दृष्टिकोण बन गया है के आलावा न सिर्फ एक संस्कृतिवादी प्रदेशवादी पूर्वाग्रह से मुक्त होना होगा बल्कि हमें एक भाषिकतावादी पूर्वाग्रहों और दृष्टिकोण से भी अपने को बचाना होगा.