राज्य-प्रबंधनकर्ता यानी मुखिया कोई स्वयंभू सम्राट भी हो सकता है.
2.
ऐसे में यह आवश्यक है कि जल से जुड़े समस्त हित धारक, उपभोगकर्ता, प्रबंधनकर्ता इत्यादि परस्पर एवं साझा प्रयासों व गतिविधियों से जल संरक्षण एवं सभी का सामाजिक आर्थिक विकास सुनिश्चित करें।
3.
यहाँ आज भी आदिम कबीलाई सामाजिक व्यवस्था से लेकर नए पेटिबुर्जुआ प्रबंधनकर्ता है व्यापारी वर्ग या यूपीज़ (यंग अर्बन प्रोफेशनल्स) तक इतना विविधतापूर्ण समाज विद्यमान है कि इस सारे परिदृश्य को किसी एक विमर्श से संबोधित करना संभव ही नहीं है।