मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ, ये हैं आरोप मुझ पर,नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ /
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मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ, ये हैं आरोप मुझ पर, नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ / क्या खूब... बढ़िया रचना... सादर...
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तिम छोर वाले आदमी की वेदना का, क्रोध हूँ, आवेश हूँ, संवेदना का कोष सा हूँ / मैं विवादी हूँ, प्रलापक हूँ, ये हैं आरोप मुझ पर,नाम कुछ भी दे कोई, कवि ह्रदय का आक्रोश सा हूँ /