तथाकथित पंडितों की भाषा कूप-जल की तरह प्रवाहहीन हो गई थी।
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तथाकथित पंडितों की भाषा कूप-जल की तरह प्रवाहहीन हो गई थी।
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प्रेम सागर ना भी बना हो तो प्रेमसलिला भी ऐसे पत्थरो से प्रवाहहीन नहीं होती किन्तु यदि प्रेम के कटोरे में पत्थर लगे तो असर होता है.
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प्रेम सागर ना भी बना हो तो प्रेमसलिला भी ऐसे पत्थरो से प्रवाहहीन नहीं होती किन्तु यदि प्रेम के कटोरे में / गाघर में पत्थर लगे तो असर होता है.
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लोग मिले समाज बना पीढियां बढ़ चलीं मैं घाट का पत्थर ठहरा प्रवाहहीन पददलित बस्तियां बस गईं जनसंख्या विस्फोट हुआ आप सब आबाद हैं बस मैं ही एक उजड़ा हूं क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
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लोग मिले समाज बना पीढियां बढ़ चलीं मैं घाट का पत्थर ठहरा प्रवाहहीन पददलित बस्तियां बस गईं जनसंख्या विस्फोट हुआ आप सब आबाद हैं बस मैं ही एक उजड़ा हूं क्योंकि मैं हिजड़ा हूं..........
7.
अनेकमनुष्य ऐसे हैं, जो सागर की गर्जन के समान चीखते रहते हैं, किन्तु उनका जीवन खोखला और प्रवाहहीन होता है जैसे कि सड़ती हुई दल-दल, और अनेक ऐसे हैं, जो अपने सिरों को पर्वत की चोटी से भी ऊपर उठाये चलते हैं, किन्तु उनकी आत्माएं कन्दराओं के अन्धकार में सोती पड़ी रहती हैं।
8.
अनेक मनुष्य ऐसे हैं, जो सागर की गर्जन के समान चीखते रहते हैं, किन्तु उनका जीवन खोखला और प्रवाहहीन होता है जैसे कि सड़ती हुई दल-दल, और अनेक ऐसे हैं, जो अपने सिरों को पर्वत की चोटी से भी ऊपर उठाये चलते हैं, किन्तु उनकी आत्माएं कन्दराओं के अन्धकार में सोती पड़ी रहती हैं।”
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अनेक मनुष्य ऐसे हैं, जो सागर की गर्जन के समान चीखते रहते हैं, किन्तु उनका जीवन खोखला और प्रवाहहीन होता है जैसे कि सड़ती हुई दल-दल, और अनेक ऐसे हैं, जो अपने सिरों को पर्वत की चोटी से भी ऊपर उठाये चलते हैं, किन्तु उनकी आत्माएं कन्दराओं के अन्धकार में सोती पड़ी रहती हैं।”
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अनेक मनुष्य ऐसे हैं, जो सागर की गर्जन के समान चीखते रहते हैं, किन्तु उनका जीवन खोखला और प्रवाहहीन होता है जैसे कि सड़ती हुई दल-दल, और अनेक ऐसे हैं, जो अपने सिरों को पर्वत की चोटी से भी ऊपर उठाये चलते हैं, किन्तु उनकी आत्माएं कन्दराओं के अन्धकार में सोती पड़ी रहती हैं।