यह सवाल सुना तो जरूर, मगर ऐसी प्रश्नमय पहेली मेरी समझ के बाहर थी, इसलिए चुप रही।
5.
पछता क्यों शेष कितनी रात? वयंग्यमय है क्षितिज घेरा प्रश्नमय हर कण-निठुर-सा पूछता परिचय बसेरा आज हो उत्तर सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा छीजता है इधर तू, उस ओर बढ़ता प्रात