राष्ट्रीय राजनीति के प्रादेशीकरण के चलते अब हिंदी को फूँक-फूँककर
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राष्ट्रीय राजनीति के प्रादेशीकरण के चलते अब हिंदी को फूँक-फूँककर कदम रखना होगा, किंतु हिंदी का संघर्ष प्रादेशिक भाषाओं से नहीं हैं, उसके रास्ते में अंग्रेज़ी के स्थापित वर्चस्व की बाधा है।
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राष्ट्रीय राजनीति के प्रादेशीकरण के चलते अब हिंदी को फूँक-फूँककर कदम रखना होगा, किंतु हिंदी का संघर्ष प्रादेशिक भाषाओं से नहीं हैं, उसके रास्ते में अंग्रेज़ी के स्थापित वर्चस्व की बाधा है।
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१ ०) मृदा-संरक्षण एवं परती भूमि विकास कार्यक्रम, कृषि जलवायु प्रादेशीकरण, वाटर शेड प्रबंधन, अनुशासित रूप से फसल-चक्र के नियम का पालन आदि कृषि के विकास और सुधार के लिए काफी उपयोगी व सार्थक हैं | इनके बारे में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए |