प्रेष्य मनोवेग सजातीय संयोग पाकर बहुत जल्दी बढ़ते हैं।
2.
अत: प्रेष्य मनोवेगों से बहुत सावधन
3.
प्रेष्य भाव या विचारधारा की छोटाई बड़ाई के हिसाब से छोटे बड़े चरणों की
4.
यह जानकर कि घृणा प्रेष्य मनोविकारों में से है, लोगों को बहुत समझ बूझकर
5.
जोड़ कर नये सत्यों का रूप दे, उन नये सत्यों को प्रेष्य बना कर उनका
6.
प्रेषणीयता अब भी बुनियादी साहित्यिक मूल्य है और संप्रेषण साहित्यकार का बुनियादी काम, किंतु बदलती हुई परिस्थितियों में प्रेष्य वस्तु और प्रेषण के साधन दोनों बदल गए हैं।
7.
कवि नये तथ्यों को उनके साथ नये रागात्मक सम्बन्ध जोड़ कर नये सत्यों का रूप दे, उन नये सत्यों को प्रेष्य बना कर उनका साधारणीकरण करे, यही नयी रचना है।
8.
नयी रचना ' क्या है-इसे स्पष्ट करते हुए ‘ अज्ञेय ' लिखते हैं-कवि नये तथ्यों को उनके साथ नये रागात्मक सम्बन्ध जोड़कर नये सत्य का रूप दे, उन नये सत्यों को प्रेष्य बनाकर उनका ‘ साधारणीकरण ' करे यही नयी रचना है।