इसके मुक़ाबले में फ़हश यानी बेहयाई है वह बुरे कर्म और बुरे बोल हैं.
3.
मौलाना ने बागेशरी का अलाप सुनाया, बशीर ने फ़हश बोलिया सुनाईं॥ और यूं अहमद बशीर सहाफ़ी बन गए।
4.
मौलाना ने बागेशरी का अलाप सुनाया, बशीर ने फ़हश बोलिया सुनाईं॥ और यूं अहमद बशीर सहाफ़ी बन गए।
5.
मिस्टर ह्यूम के अल्फ़ाज़ में इबारत की इस पैचीदगी की चाबी हमेशा पुरोहित के हाथ में रहती है और पुरोहित का इख़्तियार है कि वह इस मोम की नाक को जिस तरफ़ चाहे फेर दे स्वामी दयानन्द ने ऋग्वेद आदि भाष्य भूमिका में इस बात पर जो बहस की है वह एक दिलचस्प मुतालेअा है जब महीधर एक मंत्र पर से पर्दा उठाता है तो वह हमारे सामने एक निहायत ही फ़हश नज़ारा पेश करता है।