बरखान:-भौतिक आकृति हैं, जो मरूस्थल में चलने वाली हवाओं के कारण
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यह एक ऊ बड़-खाबड़ भूतल है जिस पर बहुत से अनुदैधर्य रेतीले टीले और बरखान पाए जाते हैं।
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यह एक ऊ बड़-खाबड़ भूतल है जिस पर बहुत से अनुदैधर्य रेतीले टीले और बरखान पाए जाते हैं।
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प्रायद्वीपीय पठार के इस भाग का विस्तार जैसलमेर तक है जहाँ यह अनुदैधर्य रेत के टिब्बों और चापाकार ; बरखान रेतीले टिब्बो से ढके हैं।
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इन टिब्बों का निर्माण एक ही दिशा से बहने वाली हवाओं के द्वारा किया जाता है इन्हें बरखान या अनुप्रस्थ टिब्बा भी कहा जाता है.
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में ओसवाल्ड बरखान ने इसे पहचाना और रुडोल्फ बर्लिन (स्तुतगार्त, जर्मनी में अभ्यास करने वाले एक नेत्रविज्ञानी) ने 1887 में इसे 'डिस्लेक्सिया' नाम दिया [6]
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1881 में ओसवाल्ड बरखान ने इसे पहचाना और रुडोल्फ बर्लिन (स्तुतगार्त, जर्मनी में अभ्यास करने वाले एक नेत्रविज्ञानी) ने 1887 में इसे 'डिस्लेक्सिया' नाम दिया