Syama saves his life by persuading one of her many admirers to sacrifice himself in Vajrasen 's place . लेकिन श्यामा उसे बचा लेती है- अपने ही किसी चाहने वाले को मनाकर , जो वज्रसेन के बदले मृत्युदंड झेल लेता है और स्वयं अपने को प्रेम की बलिवेदी पर चढ़ा देता है .