| 1. | बहिर्द्रव्य से विभिन्न वंशों में भिन्न प्रकार के
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| 2. | कोशिकाद्रव्य के दो भाग होते हैं: बहिर्द्रव्य और अंतर्द्रव्य।
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| 3. | कोशिकाद्रव्य के दो भाग होते हैं: बहिर्द्रव्य और अंतर्द्रव्य।
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| 4. | बहिर्द्रव्य रक्षा, स्पर्शज्ञान और संचलन का कार्य करता है तथा अंतर्द्रव्य पोषण एवक प्रजनन का।
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| 5. | बहिर्द्रव्य रक्षा, स्पर्शज्ञान और संचलन का कार्य करता है तथा अंतर्द्रव्य पोषण एवक प्रजनन का।
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| 6. | बहिर्द्रव्य से विभिन्न वंशों में भिन्न प्रकार के संचलन अंग बनते हैं, यथा कूटपाड, कशाभ, रोमाभ आदि।
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| 7. | बहिर्द्रव्य से ही आकुंची धानी, पाचनसंयंत्र के आद्यरूप (यथा मुख, कंठ आदि) और सिस्ट की दीवार आदि बनती है।
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