बचपन की बातें................ मेरे एक बहुक पुराने मित्र है कपिल बत्रा।
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इस बात की गुंजाईश बहुक अधिक है कि आप खा रहे चॉकलेट, पी रहे चाय और मिठाइयों में मेलामिन है।
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नवागाम से आगे बढ़ने पर हमें वसना और मतर के बीच के सफर में ग्रामीण परिवेश का थोड़ा बहुक आभास हुआ है।
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उस लोक में पहुंचने वाली आत्माओं की सोच बहुक व्यापक और ईश्वरीय दृष्टियां लिये हुए होती है, हमारे जैसी संकुचित नहीं होती ।
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भाई सतीश जी बहुत ही बहुक करती हुई आपकी पोस्ट लेकिन बेटी का घर बसाने की भी एक अद्भुत खुशी होती है |
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मैडम सवाल तो आपने वाकई बहुक सही उठाया है लेकिन गंगाजली उठाकर हिन्दी बोलने में बड़ा कष्ट है ऐर नुकसान भी...बहुत टिपिकल लिखा है आपने और लोगों का हिन्दी से छिटकने का एक बड़ा कारण ये भी रहा है।