| 1. | इन्हीं से और सब बहुघटक जीव
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| 2. | (क) उदि्भदात्मा-यह बहुघटक पौधों की समस्त आन्तरिक वृत्तियों का सारांश
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| 3. | के धर्म हैं जिनसे समस्त बहुघटक प्राणियों का विकास हुआ है।
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| 4. | (ख) संवेदनसूत्रा रहित अनेक घटक जीवों की आत्मा-उन क्षुद्र बहुघटक जीवों
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| 5. | उन सब बहुघटक पौधों और जीवों में जिनके घटक तन्तुजाल के रूप में मिलकर
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| 6. | रहते हैं जिस अवस्था में कुछ काल तक मनुष्य आदि समस्त बहुघटक प्राणियों के
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| 7. | कहलाते हैं और जिनका शरीर दो या अधिक घटकों का होता है वे बहुघटक जीव
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| 8. | आदिम कोटि के बहुघटक जीव दुहरी या तिहरी झिल्ली के कोश के अतिरिक्त और कुछ
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