| 1. | बहुत्व में एकत्व ही सृष्टि का नियम है।
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| 2. | बहुत्व में एकत्व ही सृष्टि का नियम है।
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| 3. | द्रव्य के उपादान कारण में विद्यमान बहुत्व संख्या,
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| 4. | अनिश्चित संख्यावाचक विशेषणओं से अधिकतर बहुत्व का बोध होता है।
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| 5. | बहुत्व संख्या के कारण यहाँ स्थूलत्व या महत्परिमाण उत्पन्न होता है।
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| 6. | किंतु वे सत्तात्मक द्वैत अथवा बहुत्व को स्वीकार करना अयुक्त समझते थे।
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| 7. | किंतु वे सत्तात्मक द्वैत अथवा बहुत्व को स्वीकार करना अयुक्त समझते थे।
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| 8. | यहाँ सम्बोध्न में बहुत्व की वीप्सा भत्तफ की अनन्यशरणता को सूचित करती है।
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| 9. | किन्तु त्रसरेणु के समवायि (उपादान) कारण में बहुत्व संख्या वर्तमान है।
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| 10. | बहुत्व से विशिष्ट अद्वय ब्रह्म का प्रतिपादन करने के कारण इसे विशिष्टाद्वैत कहा जाता है।
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