स्वयं सहायता समूह एक छोटे बैंक की तरह काम करता है जिसमें सदस्यों को अनिवार्य रूप से बचत करनी होती है, ऋण देने का निश्चित तरीका होता है और बाकीदारी पर जुर्माना होता है।
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इसी कारण सरकारी प्रतिभूतियों को बाकीदारी का कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ता और इनसे काफी मात्रा में नकदी प्राप्त होती है (क्योंकि इसे बाजार में चालू मूल्यों पर बड़ी आसानी से बेचा जा सकता है।
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इसी कारण सरकारी प्रतिभूतियों को बाकीदारी का कोई जोखिम नहीं उठाना पड़ता और इनसे काफी मात्रा में नकदी प्राप् त होती है (क् योंकि इसे बाजार में चालू मूल् यों पर बड़ी आसानी से बेचा जा सकता है।