In the same way he must have often noticed in the streets of Calcutta big , hefty strangers from Kabul peddling dry fruits and nuts . ठीक उसी तरह , रवीन्द्रनाथ ने कलकत्ता की सड़कों पर बहुधा ऊंचे कद्दावर और भारी-भरकम अजनबियों को भी देखा होगा जो काबुल से आते रहते थे और घूम-घूमकर सूखे मेवे और बादाम वगैरह बेचा करते थे .