इसीलिए इसमें रहस्यात्मक बिंबवाद की प्रवृत्ति पाई जाती है.
2.
यथार्थवाद की परिणति प्रकृतिवाद और नव्य रोमांसवाद तथा बिंबवाद आदि से ऊबकर उसकी प्रतिक्रिया में अभिव्यंजनावाद चला।
3.
यथार्थवाद की परिणति प्रकृतिवाद और नव्य रोमांसवाद तथा बिंबवाद आदि से ऊबकर उसकी प्रतिक्रिया में अभिव्यंजनावाद चला।
4.
रहस्यात्मक बिंबवाद का अर्थ है रूपकों के प्रयोग द्वारा वस्तुपक्ष को जटिल बनाते हुए सत्य की खो ज.
5.
मुक्त साहचर्य, बिंबवाद का प्रभाव आदि गुणों के कारण प्रपद्यवाद कुछ मनोहारी काव्य बिंब मात्र दिए पर मात्र तीन कवियों का यह अभियान एक लंबा सफर तय न कर सका ।
6.
ऋग्वेद के नासदीय सूक्त (जिसमें निषेध के द्वारा ब्रह्म की परिभाषा का प्रयास है) से लेकर आधुनिक युग में रवींद्रनाथ ठाकुर और सुब्रह्मण्य भारती आदि भारतीय भाषाओं के कवियों में यह रहस्यात्मक बिंबवाद बार बार दिखाई देता है.
7.
इसी प्रकार दोनों ने ही प्लेटो, अरस्तु, लांजाइनस, होरेस और दांते जैसे पश् चिमी काव्यशास्त्रियों के सिद्धांतों को ग्रहण किया है और अभिव्यंजनावाद, काल्पनिकवाद, हेतुवाद, मार्क्सवाद, मानवतावाद, बिंबवाद, प्रतीकवाद, अस्तित्ववाद, अनुभूतिवाद और विप् लववाद आदि का विकास किया है.