देवनागरी का हर अक्षर किसी न किसी देवी-देवता का बीजमन्त्र है।
4.
अग्निदेव का बीजमन्त्र रं तथा मुख्य मन्त्र रं वह्निचैतन्याय नम: है।
5.
देवनागरी का हर अक्षर किसी न किसी देवी-देवता का बीजमन्त्र है।
6.
अग्निदेव का बीजमन्त्र रं तथा मुख्य मन्त्र रं वह्निचैतन्याय नम: है।
7.
बीजमन्त्रों से स्वास्थ्य-सुरक्षा बीजमन्त्र लाभ कं मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।
8.
ये बीजमन्त्र देवनागरी लिपि के अक्षर हं, ै जो कि अलग-अलग चक्रों तथा उनसे सम्बन्धित मूलवृत्तियों पर प्रभाव डालते हैं।
9.
इस बीजमन्त्र राम में ही सीता अर्थात (प्रकृति) रूप में तथा राम (पुरुष) रूप में विहार करते हैं, जिससे सृष्टि का विकास होता है.
10.
ब, साधक दीक्षाः दीक्षादान होने पर गुरुपदिष्ठ बीजमन्त्र साधक के हृदयदेश में स्थापित होता है तथा साधक के द्वारा गोपनीय विधियों के द्वारा शोधित और रक्षित होकर पुष्ट होता रहता है ।