असर-जीवन के हर पक्ष में बेकद्र हो रहे हैं हमारे बच्चे।
3.
और जिसने भी इस वक्त की कद्र ना किया है, इस वक्त ने भी उसको बेकद्र किया है।
4.
जो उसकी आदत थी मजाक से आनंद लेने की, उस कारण वो जब तब मेरे कवि होने की बेकद्र करते रहता था।
5.
बाद रहज़नी के कुछ यूं सफ़र का समा निकलाफ़िर लूटा के शुकुं जिस्त का कारवां निकला ॥सिवा कत्ल के कोई न थी रज़ा तेरी मगरदर्द से ज्यादा हर दर्द का सामां निकला ॥बिक गया निशात-ए-जि़गर यूं सरे शहरकुछ इस कदर इस बेकद्र का कद्रदां निकला ॥लिखते थे दर्द कि वज़ा न हो...
6.
बाद रहज़नी के कुछ यूं सफ़र का समा निकलाफ़िर लूटा के शुकुं जिस्त का कारवां निकला ॥सिवा कत्ल के कोई न थी रज़ा तेरी मगरदर्द से ज्यादा हर दर्द का सामां निकला ॥बिक गया निशात-ए-जि़गर यूं सरे शहरकुछ इस कदर इस बेकद्र का कद्रदां निकला ॥लिखते थे दर्द कि वज़ा न हो
परिभाषा
जिसकी कद्र न की गई हो :"मेरी कविताएँ आज भी बेकद्र हैं" पर्याय: बेक़द्र, बेकदर, बेक़दर,
जो किसी की क़दर या आदर करना न जाने :"मुझे उस बेकदर औलाद की याद न दिला" पर्याय: बेकदर, बेक़दर, बेक़द्र,