:) अनूप भार्गव जी बेमरम्मत रुप में पसंद कर लिया...अबके मरम्मत करके लगायेंगे पक्का...आपका आशीष है सब.
3.
जैसे मैं बना ही हूँ तुम्हारे लिए कहाँ हो तुम अपने इस पुराने और बेमरम्मत सामान को छोड़कर इस उम्र में और इस मोड़ पर अब और क्या हो सकता है भला इस टूटे-फूटे जीवन में इसके सिवा कि मैं किसी का एक गुमशुदा सामान हूँ ।