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ब्राह्मण-ग्रन्थ वाक्य

उच्चारण: [ beraahemn-garenth ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • ब्राह्मण-ग्रन्थ (गद्य में कर्मकाण्ड की विवेचना)
  • असंख्य वेद-शाखाएँ, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद विलुप्त हो चुके हैं।
  • यज्ञविधि का निर्देश करने के लिए ब्राह्मण-ग्रन्थ उपयोगी थे और उसके बाद
  • कुल मिलाकर ये हैं: संहिता (मन्त्र भाग) ब्राह्मण-ग्रन्थ (गद्य में कर्म काण्ड की विवेचना)
  • इस प्रकार विधि-निर्देश के समानान्तर ही ब्राह्मण-ग्रन्थ उनकी उपयुक्तता भी विभिन्न प्रकार से बतला देते हैं।
  • हर वेद के चार भाग होते हैं: संहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद् ।
  • इस प्रकार विधि-निर्देश के समानान्तर ही ब्राह्मण-ग्रन्थ उनकी उपयुक्तता भी विभिन्न प्रकार से बतला देते हैं।
  • वह ऋक्, यजुष्, साम, प्रत्येक सूत्रग्रन्थ, ब्राह्मण-ग्रन्थ और श्लोक में अनुस्यूत है-..
  • ब्राह्मण-ग्रन्थ चूँकि मन्त्रों के व्याख्यान हैं, अत: ईश्वरोक्त नहीं हैं, अपितु महर्षि लोगों द्वारा प्रोक्त हैं।
  • ब्राह्मण-ग्रन्थ वेद नहीं हो सकते, क्योंकि उन्हीं का नाम इतिहास, पुराण, कल्प, गाथा और नाराशंसी भी है।
  • गृहस्थाश्रम में यज्ञविधि का निर्देश करने के लिए ब्राह्मण-ग्रन्थ उपयोगी थे और उसके बाद वानप्रस्थ आश्रम में वनवासी आर्य यज्ञ के रहस्यों और दार्शनिक तत्त्वों का विवेचन करने वाले आरण्यकों का अध्ययन करते थे।
  • हर वेद में चार भाग हैं-संहिता-मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ-गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक-इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्-इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।
  • हर वेद में चार भाग हैं-संहिता-मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ-गद्य भाग जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक-इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्-इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।
  • हर वेद में चार भाग हैं-संहिता-मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ-गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक-इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्-इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।
  • हर वेद में चार भाग हैं-संहिता-मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ-गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक-इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्-इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।
  • [37] अत: जिस प्रकार कम्बु-ग्रीवादि से युक्त एक ही पदार्थ के घट, कलश आदि अनेक नामधेय होने से कोई विरोध उपस्थित नहीं होता, उसी तरह एक ही ब्राह्मण-ग्रन्थ के वेद होने में और पुराण-इतिहास होने में कोई विरोध नहीं है।
  • हर वेद में चार भाग हैं-संहिता-मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ-गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक-इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्-इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।
  • कुल मिलाकर ये हैं: संहिता (मन्त्र भाग), ब्राह्मण-ग्रन्थ (गद्य में कर्मकाण्ड की विवेचना), आरण्यक (कर्मकाण्ड के पीछे के उद्देश्य की विवेचना), उपनिषद (परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन).

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