देवकी ने भर्त्सनापूर्ण नेत्रों से देखकर कहा-अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना कोई तुमसे सीख ले!
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कांग्रेस के कर्णसिंह ने कहा कि सरबजीत के साथ हुए अमानवीय और भर्त्सनापूर्ण व्यवहार की हम घोर निंदा करते हैं।
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सौदागर ने पंडित को देखते ही भर्त्सनापूर्ण शब्दों में कहा-मियाँ रोशनुद्दौला मुझे इस वक्त तुम्हारे ऊपर इतना गुस्सा आ रहा है कि तुम्हें कुत्तों से नुचवा दूँ।
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देवकी ने भर्त्सनापूर्ण नेत्रों से देखकर कहा-अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना कोई तुमसे सीख ले! जिस तरह मां अपने बेटे को हमेशा दुबला ही समझती है, उसी तरह बाप बेटे को हमेशा नादान समझा करता है।
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इस सूचना को लेकर हुई व्यक्तिगत, अति-उल्लास या फिर भर्त्सनापूर्ण टिप्पणियों के आगे युवा आलोचक राकेश बिहारी की यह टिप्पणी कुछ ज़रूरी सवालों को तो उठाती ही है, साथ में एक बहस के लिए दरवाज़े भी खोलती है.
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उस युवक के सम्बन्ध में आप क्या कह सकते हैं, जो अभी-अभी निकला और मृत्युके मुख में समा गया? अपने अन्तरंग साथी और सहयोगी के बारे में आप कह भी क्यासकते हैं? क्या उसके सम्बन्ध में भर्त्सनापूर्ण शब्द कहे जाएँ कि तुमने जोखिमक्यों उठाया या फिर वेदना-नुभूति व्यक्त की जाए कि प्रिय बन्धु, मैं तुम्हारेवियोग में आठ-आठ आँसू बहा रहा हूँ, अभी हमें तुम्हारी नितान्त आवश्यकता थी.