तात्पर्य है कि बाबाकी दृष्टि गणेशजी और चूहेपर है और सुनारकी दृष्टि सोनपर है अर्थात् बाबाको भावगुण दीखता है और सुनारको वस्तुगुण दीखता है ।
3.
संसारमें भिन्न-भिन्न स्वभावके व्यक्ति, वस्तु आदि हैं ; अतः उनमें वस्तुगुण तो अलग-अलग है, पर सबमें भगवान् परिपूर्ण हैं-यह भावगुण एक ही है ।
4.
परन्तु पत्नीसे मिलनेपर और भाव रहता है, मातासे मिलनेपर और भाव रहता है तथा बहनसे मिलनेपर और भाव रहता है ; अतः वस्तु एक होनेपर भी ‘ भावगुण ' अलग-अलग हुआ ।