उसने भाषणगत सवाल किया, ' कौन यह रहकर अकेले ही आनंदित होना चाहेगा और उन्हें भूल जाएगा जो प्रबुद्ध नहीं हैं? ' यदि साक्ष्यों की तलाश एवं आलोच्य तर्कों से उनका रक्षण विज्ञान की परंपरा का एक भाग है, तो ज्ञान और विवेक को स्थानीयता से मुक्त करने की प्रतिबद्धता भी उसी परंपरा का हिस्सा है।