| 1. | आलोक भू-दर्शन. कोलकाता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ६६.
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| 2. | आलोक भू-दर्शन. कलकत्ता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ६७.
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| 3. | आलोक भू-दर्शन. कलकत्ता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ७१.
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| 4. | आलोक भू-दर्शन. कलकत्ता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ६७.
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| 5. | आलोक भू-दर्शन. कलकत्ता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ७१. बाहरी कड़ियाँ [संपादित करें]
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| 6. | आलोक भू-दर्शन. कोलकाता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ६६. ↑ 3.0 3.1 तिवारी, अर्चना (जुलाई २००४).
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| 7. | मार्क्सवाद, भौतिकवाद और श्रम पर आधारित नये वस्तु-दर्शन को कवि नये भू-दर्शन का रूप देता है।
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| 8. | आलोक भू-दर्शन. कलकत्ता: निर्मल प्रकाशन. प॰ ६७. ↑ “धीरे-धीरे मरुस्थल में बदला था सहारा” (हिन्दी में) (एचटीएम). पर्यनाद.
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