बहुत संभव है कि अधिक सरलता के चक्कर में हम अपनी कही गई बात के अर्थ में भोथरापन यानी अस्पष्टता ले आएँ और अभिव्यक्ति का पैनापन खत्म हो जाए।
2.
इसलिए जब मुद्राराक्षस, प्रेमकुमार मणि या कुछ दूसरे विद्वान ज़ोर दे रहे हों कि ‘ दलितों के लिए दलितों द्वारा लिखा गया साहित्य ही दलित साहित्य है ', तो इसे तर्कविहीन सिद्धांतशास्त्र का भोथरापन मानने के बजाव इसके बारे में गंभीरता से सोचे जाने की ज़रूरत है।
परिभाषा
भोथरा होने की अवस्था या भाव:"धार कराने के बाद भी चाकू का भोथरापन नहीं गया" पर्याय: कुंठा, कुण्ठा,