| 1. | यह मत-निर्माण या प्रचार इतना मौलिक और प्रभावशाली है कि इसे मानस-निर्माण ही कहा जा सकता है ।
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| 2. | यह मत-निर्माण या प्रचार इतना मौलिक और प्रभावशाली है कि इसे मानस-निर्माण ही कहा जा सकता है ।
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| 3. | यह मत-निर्माण या प्रचार इतना मौलिक और प्रभावशाली है कि इसे मानस-निर्माण ही कहा जा सकता है ।
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| 4. | यह मत-निर्माण सिर्फ तात्कालिक मुद्दों के बारे में नहीं होता है, बल्कि गहरी मान्यताओं और दीर्घकालीन समस्याओं के स्तर पर भी होता है ।
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| 5. | यह मत-निर्माण सिर्फ तात्कालिक मुद्दों के बारे में नहीं होता है, बल्कि गहरी मान्यताओं और दीर्घकालीन समस्याओं के स्तर पर भी होता है ।
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| 6. | यह मत-निर्माण सिर्फ तात्कालिक मुद्दों के बारे में नहीं होता है, बल्कि गहरी मान्यताओं और दीर्घकालीन समस्याओं के स्तर पर भी होता है ।
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