19वीं और 20वीं शताब्दी की शुरूआत में, “मद्यव्यसनिता” या पियक्कड़पन शब्द के चलन से पहले शराब पर निर्भरता, मद्योन्माद कहलाती थी.
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लोग यहाँ इकट्ठे होते हैं सिर्फ बढ़िया संगीत के लिये ही नहीं, अपितु अच्छी कीमत पर मद्योन्माद के लिये भी। सप्ताह के किसी भी दिन मस्ती करने के लिये दो सर्वोत्तम स्थान।