नेफा मूलतः इंडो-ईरानी परिवार का शब्द है और इसका मूल भी नाभः या नाभि ही है जिसका अर्थ केन्द्र बिन्दु, मध्य-स्थान या गोलाकार है।
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यहाँ उस्ताद खाँ साहब के ‘आलाप ' को प्रक्रियागत एवम् संरचना के बारे में स्पष्ट है कि वे बहुत ही नैसर्गिकता के साथ अपनी पाटदार आवाज से स्थायी में पहले 'षड्ज' लगा कर वादी स्वर का ऐसा महत्व दिखा देते थे कि पूर्वांग में ‘राग‘ चलता और आरंभ में कुछ मुख्य-स्वर समुदायों को लेकर फिर एक नया स्वर अपने स्वर-समुदायों में जोड़ जोड़कर वे मध्य-स्थान के पंचम 'धैवत' और ‘निषाद' तक जाते हैं फिर ‘तार-षड्ज' को बहुत खूबसूरती से छूते हुए 'मध्य-षड्ज' पर 'स्थायी' समाप्त करते।