भाग्य अगर आप अपना भाग्य नहीं बदल सकते तो अपनी मनोदृष्टि (एटीट्यूड)
2.
मन और शरीर की यह संयुक्त मनोदृष्टि (होलिस्टिक एटीट्यूड) ही सामाजिक और व्यक्तिगत स्वास्थ और सफलता की कुंजी है।
3.
फ्रेंकलिन को किताब उधार देने के बाद उसके प्रतिद्वंद्वी को फ्रेंकलिन के प्रति अपने मनोदृष्टि की असंगति को सुलझाना पड़ा, जिसपर उसनें अभी-अभी एक उपकार भी किया है.
4.
स्वामीजी का कथन है कि हमारे जीवन में जो भी अवसाद या दुःख हैं, उनके कारण हमारे दैनिक जीवन की छोटी-मोटी परेशानियाँ, दूसरों का हमारे लिये खराब व्यवहार या हमारी खराब किस्मत जैसे वाह्य कारकों में नहीं होते, बल्कि हमारे अवसाद का कारण हमारे अपने ही अंदर-हमारा स्वयं का रवैया, मनोदृष्टि होता है।