इसलिए आस्था के इस महाबाजार को हर कोई भुना लेना चाहता था...
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इसलिए आस्था के इस महाबाजार को हर कोई भुना लेना चाहता था...
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वहां एक महाबाजार लगा हुआ था, जिसमें लोग या तो उपभोक्ता थे या विक्रेता।
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उनको समझ में नहीं आ रहा है कि महाघोटाले के महाबाजार में नए-नए प्रतिद्वंद्वी उनकी लुटिया ही डूबा कर दम लेंगे।
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गरीब नवाज़ के दर पर पहुंचते ही यहां भी हमें कुछ लोग ऐसे भी मिले जो आस्था के महाबाजार में आस्था के पुजारियों की जेबों को ढीली करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।