देश-देश के नरेश, महार्घ उपहार ले-ले कर उपस्थित हुये.
3.
प्रेम इतना पवित्र और महार्घ तत्त्व है कि उस पर दैहिक स्खलनों के दाग नहीं पड़ते।
4.
सिद्धों के गूढ़ और गुरु ज्ञान को संगीत के पंख देनेवाले मंत्रगीत भी साहित्य का महार्घ न्यास हैं।
5.
वह न किसी दुर्लभ खान के अमूल्य हीरे की कथा है और न अथाह समुद्र के महार्घ मोती की।
6.
रूप दिया था वह लुप्त हो गई, धर्माचार्यों ने जिस ज्ञान और वैराग्य को इतना महार्घ समझा था, वह लुप्त हो गया;
7.
कितना विषम शोक! पहले तो जनमा वन-कानन में ; जब महार्घ थी, मिली नहीं तब शीतल गोद पिता की.
8.
और कौन है, जो विस्मित, निस्तब्ध न रह जाएगा इस अकांड राज्याभिषेक, उस वट के विस्थापन से जिसकी छाया हेतु दूर से वह चल कर आया हो? कितना विषम शोक! पहले तो जनमा वन-कानन में; जब महार्घ थी, मिली नहीं तब शीतल गोद पिता की.
9.
कला का पारस जिसे छू ले वह आधार स्वर्ण सा महार्घ हो जायेगा, कलाकार के करों का परस, पत्थर और माटी में भी जीवन फूँकने लगा. कवियों. को रचना हेतु विगत संग्राम के नायकों और ख्यात पूर्वजों की जीवनी याद आने लगी. सारे वर्ग कार्य में व्यस्त हो गये.
10.
सम्राटों-सामंतों ने जिस आचार-निष्ठा को इतना मोहक और मादक रूप दिया था वह लुप्त हो गई, धर्माचार्यों ने जिस ज्ञान और वैराग्य को इतना महार्घ समझा था, वह लुप्त हो गया ; मध्य युग के मुसलमान रईसों के अनुकरण पर जो रस-राशि उमड़ी थी, वह वाष्प की भाँति उड़ गई, क्या वह मध्य युग के कंकाल में लिखा हुआ व्यावसायिक युग का कमल ऐसा ही बना रहेगा? महाकाल के प्रत्येक पदाघात में धरती धसकेगी।