माण्डूक्योपनिषद् वाक्य
उच्चारण: [ maanedukeyopenised ]
"माण्डूक्योपनिषद्" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- माण्डूक्योपनिषद् की कारिकाओं में लिखा हैं कि:
- परम पवित्र ॐ की महिमा का गुणगान कठोपनिषद्, माण्डूक्योपनिषद्
- (माण्डूक्योपनिषद् गौ ० का ० श्लोक १)
- (माण्डूक्योपनिषद् आ०प्र० गौ०का० श्लोक ८)
- (माण्डूक्योपनिषद्, अद्वैतप्रकरण, श्लोक ३ एवं ४)
- (माण्डूक्योपनिषद् गौ० का० श्लोक १)
- तस्माद्विद्वानेतेनैवायतनेनैकतरमन्वेति॥ सम्पूर्ण माण्डूक्योपनिषद् भी ॐकार के वर्णन में ही समाप्त हुआ है।
- माण्डूक्योपनिषद् में ओंकार अर्थात् ओम् के महत्व तथा अर्थ दोनों पर प्रकाश डाला गया है.
- माण्डूक्योपनिषद् के अनुसार यह जो कुछ भूत, भविष्यत् और वर्तमान है उसी की व्याख्या है ; इसलिए यह सब ओंकार ही है.
- केनोपनिषद् ने “मतं यस्य न वेद स: ” इन शब्दों द्वारा ब्रह्म के बौद्धिक ज्ञान का खंडन किया है, तथा माण्डूक्योपनिषद् ने “एकात्मप्रत्ययसार” इस कथन से ब्रह्म की अपरोक्षानुभूति ही संभव बतलाई है।
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