निवेदिता ने बंकिम के उपन्यास से उस मातृपूजा के मन्त्र को चुना और उसमें प्राण प्रतिष्ठित कर दिये।
6.
कास या काँस को देवी दुर्गा का स्वागत पुष्प माना जाता है-शारदीय नवरात्र के आसपास मातृपूजा हेतु प्रकृति का उपहार।
7.
सरस्वती सभ्यता (सीमित ज्ञान के कारण पहले इसे सिन्धु नदी घाटी में सीमित कर दिया जाता था) में मातृपूजा के चिह्न अनायास ही नहीं हैं।
8.
देश भक्त जेलों में ठूँसे हुई “ मातृपूजा प्रतिबन्धित ”, “ कण्ठ-कण्ठ में एक राग है ” यह स्वर हुआ राष्ट्र में गुंजि त.
9.
सरस्वती सभ्यता (सीमित ज्ञान के कारण पहले इसे सिन्धु नदी घाटी में सीमित कर दिया जाता था) में मातृपूजा के चिह्न अनायास ही नहीं हैं।
10.
फिर भी यह स्पष्टत: कहा जा सकता है कि लोगों का विश्वास वृक्षों, चट्टानों, नदियों आदि से संबंधित देवताओं में था और कम से कम एक विशिष्ट सर्पदेवी की मातृपूजा वे अवश्य करते थे।