' वसुधा' नाम की साहित्यिक मासिकी निकाली, नई दुनिया में
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यह पत्रिकाअध्यात्मयोग की मासिकी है जिसका प्रकाशन शंकरलाल मेहता के संपादन में होरहा है.
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हिंदी साहित्य के नव उत्कर्ष, नव संचेतना और नव भावबोध की प्रतिनिधि मासिकी
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समाज एवं मानव की साधारण तथा असाधारण इच्छाओं, आवश्यकताओं का विज्ञापक और पूरक यह मासिकी अपने आप में हिंदी की एकमात्र अनोखी पत्रिका है.
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सत साहित्य शोध मासिकी ‘साहित्य सागर ' पत्रिका: साहित्य सागर, अंक: जुलाई 2011, स्वरूप: मासिक, संपादक: कमलकांत सक्सेना, पृष्ठ: 52, मूल्य: 20रू (वार्षिक: 240 रू.), ई मेल:
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भोपाल से श्री कमलकांत सक्सेना के संपादन में प्रकाशित होनेवाली सत्साहित्यिक शोध मासिकी साहित्य सागर के जुलाई 2008 के नियमित अंक के साथ स्वामी आत्मभोलानंद के व्यक्तित्व कृतित्व पर केंद्रित एक विशेषांक भी प्रकाशित किया गया है ।
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जबलपुर से ' वसुधा' नाम की साहित्यिक मासिकी निकाली, नई दुनिया में 'सुनो भइ साधो', नयी कहानियों में 'पाँचवाँ कालम', और 'उलझी-उलझी' तथा कल्पना में 'और अन्त में' इत्यादि कहानियाँ, उपन्यास एवं निबन्ध-लेखन के बावजूद मुख्यत: व्यंग्यकार के रूप में विख्यात।
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श्री विजयबहादुर सिंह तथा प्रेमशंकर रघुवंशी द्वारा डॉ. आरती के संपादन में प्रकाशित साहित्यिक मासिकी “ समय के साखी ” तथा इटारसी से प्रकाशित प्रतिष्ठित समाचार पत्र ‘ नगरकथा ' के भवानी भाई पर एकाग्र अंकों का विमोचन किया।
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जबलपुर से ' वसुधा' नाम की साहित्यिक मासिकी निकाली, नई दुनिया में 'सुनो भइ साधो', नयी कहानियों में 'पाँचवाँ कालम', और 'उलझी-उलझी' तथा कल्पना में 'और अन्त में' इत्यादि कहानियाँ, उपन्यास एवं निबन्ध-लेखन के बावजूद मुख्यत: व्यंग्यकार के रूप में विख्यात।
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जबलपुर से ' वसुधा ' नाम की साहित्यिक मासिकी निकाली, नई दुनिया में ' सुनो भई साधो ', नई कहानियों में ' पाँचवाँ कॉलम ', और ' उलझी-उलझी ' तथा कल्पना में ' और अन्त में ' इत्यादि।