श्री. सपटणेकर को अपने मिक्ष के ऐसे विश्वास पर हँसी आ गई और साथ ही साथ श्री साईबाबा का भी उन्होंन उपहास किया ।
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श्री. सपटणेकर को अपने मिक्ष के ऐसे विश्वास पर हँसी आ गई और साथ ही साथ श्री साईबाबा का भी उन्होंन उपहास किया ।
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भिन्न-भिन्न जाति के वृक्षों, सूखे मिक्ष जातीय और पतझड वाले वनों तथा झील के आसपास फैले हुए चारागाह के कारण इस उद्यान में विविध प्रकार के प्राणियों को देखने के विपुल अवसर मिलते है।