मनोज मिट्टा भी अंग्रेजी पत्राकारिता का एक बड़ा नाम है।
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‘ स्वान्तःसुखाय ' मिट्टा का सात्त्विक संसार, सरिता रामा के तट पर, बनाया और बिगाड़ा करता है।
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• मनोज मिट्टा तथा एच. एस. फूलका, 'व्हेन ए ट्री शुक दिल्ली: द 1984 कार्नेज ऐंड इट्स आफ्टरमैथ, लोटस', 2007।
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• मनोज मिट्टा तथा एच. एस. फूलका, 'व्हेन ए ट्री शुक दिल्ली: द 1984 कार्नेज ऐंड इट्स आफ्टरमैथ, लोटस', 2007।
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वह 1988 बैच के आईडीएसई अधिकारी बृजमोहन मिट्टा की जगह लेंगे जो यूआईएआई में ज्वाइन न करने की वजह से हटा दिए गए हैं.
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मनोज मिट्टा के अनुसार, “एक तरह से मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के लिए मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ किया जाना, स्वत्वाधिकार मुकदमा के अधिनिर्णय का केंद्र था.”
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मनोज मिट्टा के अनुसार, “एक तरह से मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के लिए मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ किया जाना, स्वत्वाधिकार मुकदमा के अधिनिर्णय का केंद्र था.”