मुक्ताभ जी... बिलकुल ठीक कहा आपने... अब यह ज्यादा बेहतर हुआ है...
2.
भारत की धरती कहीं तुषार किरीटिनी, कहीं सुमन खचित हरितां-चला, कहीं मुक्ताभ तरंगमालिनी है.
3.
गिर कर मुझपर बहतीं चन्द्रकिरणें मुक्ताभ, मैं ज्योतिर्विहीन; नहीं तेरे स्निग्ध आलिंगन की आभ ।
4.
गिर कर मुझपर बहतीं चन्द्रकिरणें मुक्ताभ, मैं ज्योतिहीन; नहीं तेरे स्निग्ध आलिंगन की आभ ।
5.
तत्पश्चात् मिलती है, मानिनी चर्मवती, जिसका मान रखने के लिए मेघ श्यामल वपुश्रीकृष्ण का रूप चुरा कर उपस्थित होता है और उसकी डबडबायी मुक्ताभ तरलता कोप्रणय-सम्मान देता है.
6.
छायावाद को मुख्यतः ‘ प्रेरणा का काव्य ' मानने वाले इस कोमल-प्राण कवि ने हार नामक उपन्यास के लेखन से अपनी रचना-यात्रा आरंभ की थी, जो ‘ मुक्ताभ ' के प्रणयन तक जारी रही।
7.
मैंने चर्चा केवल न्यूड के उदात्त रूप को लेकर करनी चाही थी जो महज निजी भड़ास को निकालने का जरिया न होकर उत्कृष्ट मुक्ताभ नग्न सौन्दर्य को जस का तस प्रस्तुत करने को अभीप्सित थी-अमित ने कहा नारी ही क्यों पुरुष भी क्यों नहीं? नारी चित्रकार इसका जवाब दें तो ज्यादा उचित होगा...
8.
मैंने चर्चा केवल न्यूड के उदात्त रूप को लेकर करनी चाही थी जो महज निजी भड़ास को निकालने का जरिया न होकर उत्कृष्ट मुक्ताभ नग्न सौन्दर्य को जस का तस प्रस्तुत करने को अभीप्सित थी-अमित ने कहा नारी ही क्यों पुरुष भी क्यों नहीं? नारी चित्रकार इसका जवाब दें तो ज्यादा उचित होगा...