↑ गुरुवायुर मंदिर, गुरूवायूर मंदिर, गुरूवायूर मुद्रालेख
3.
दाहिनी ओर “लिच्छवय: ” मुद्रालेख पढ़ा गया है।
4.
दाहिनी ओर “ लिच्छवय: ” मुद्रालेख पढ़ा गया है।
5.
यह प्रवचन प्रकाशन का मुद्रालेख है।
6.
उसके उत्तराधिकारी सुस्थित वर्मन के विषय में दो अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाने का उल्लेख नालन्दा मुद्रालेख से प्राप्त होता है।
7.
शब्दश्री से समृद्ध और आज्ञाधर्म से अनुबद्ध साहित्य के प्रकाशन का मुद्रालेख धारण करनेवाला प्रवचन प्रकाशन घर-घर में और घट-घट में सद् विचार और सद् भावना की सरिता प्रवाहित करेगा।